जन्म दिया हूँ पता नहीं रहेगा मेरे पास।
वर्तमान तो देख रहा भविष्य की नहीं आश।।
आज उत्सव कल महोत्सव या होगा उपहास ।
विधि विधाता सब कुछ जाने निज सुत सुता परिभाष।।
कहने को तो बेटा बेटी बहु सुन्दर परिवार।
कल का कोई भरोसा नहीं है कौन होगा दुराचार ??
तीन-तीन चार दश सदस्य कुशल भरा परिवार ।
भले आज आनंद हो कल कौन खेवनहार ??
- गोपाल पाठक
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