कविता संग्रह

Monday, February 21, 2022

मगही हमर मातृभाषा.....

 मगही हमर मातृभाषा एकरे से हम सिखली ।

लईका से अब बड़ा होके असल जवानी पईली।।


मईया बाबुजी सबसे पहिले मगही भाषा बोलयलन ।

हिन्दी अउ अँगरेजी बोलिया सब मगहीये में सुनयलन ।।


स्कूलवा में भी मास्टर साहेब मगहीया में पढ़यलन ।

भले हिन्दी कितबबा में पढ़ मगही में समझयलन ।।


चॉक हई अँगरेजी लेकिन चॉकबा लाओ रे लईकन ।

डस्टर के डस्टरवा कहके अनुवाद असानी कयलन ।।


लोग सब पहिले मगही के गाँव गंवार बतयलन ।

एही से अभी भी कुछ अइसन हथ बोले में सरमयलन ।।


तनि जानल बड़कन भईया दीदी मगही भाषा ।

छोटकन के तू मत भड़काब पुरखन धरले आशा ।।


मगध क्षेत्र के मगही संस्कृति सब मिलकर बढ़ाब ।

देश विदेश में ई भाषा के नया रूप देखाब ।।

                     *****

                              © गोपाल पाठक 

#मातृभाषा_दिवस





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