[ तर्ज -: भगत के बस में हैं भगवान ]
नेता के वश में है जनता
गरीब दुखी बेरोजगार शोषित रहे
यही शोभित सुन्दरता !
नेता के वश में है जनता !!
नेता सीधी जनता की , रोज गाँव में डोले
जनता को भोली समझे , जनता से आदर बोले
कभी वो आता नहीं था, आया चुनाव की बारी
हाथ जोड़े चल आगे , चुनाव तक रहता जारी
भले नहीं कोई काम नाम हो,
सब कुछ रहे पता !
नेता के वश में है जनता !!
देख नेता की माया , चुनाव जब सर पे आया
आता अब रोजे दर पर , बात कुछ कह भरमाया
तेरा मैं ख्याल रखूँगा ,मरते दम जनता में रहूँगा
वोट हमहीं को देना , तेरा सब काम करूँगा
बड़े बड़े बड़ बोल बोल के ,
जीतते लापता !
नेता के वश में है जनता !!
जीत कर आता नहीं है , प्रित जनता से नहीं है
कुर्सी से चिपके रहता , कोई परवाह नहीं है
शान शोहरत के आगे , गाड़ी बंगला को पावे
कौन जनता को देखे , दुबारा कभी न आवे
इस तरह के नेताओं को
कैसे हम जीता ?
नेता के वश में है जनता !!
-::-
© गोपाल पाठक
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