कविता संग्रह

Tuesday, November 3, 2020

गणेश वंदना

   हे गौरी पुत्र गणेश गणपति आओ मैं पूजन करूँ ।

   दूँ पान अक्षत फूल चंदन और नीराजन करूँ ।।


   तू विघ्ननाशक बुद्धिदाता विद्या मंगल दाता हो ।

   प्रभु जो भी आये शरण तेरे वो कृपा फल पाता हो।।


  हे नाथ आप अनाथ के तू ख्याल नित ही करते हो ।

 जो भक्ति से पूजन करे उसे शक्ति धन धान्य देते हो ।।


  हूँ अल्प बुद्धि न्यून शुद्धि कपट छल लोभी भरा ।  

  नित पाप हो निज कर्म से पूजन को नहीं कभी मन करा।।


  प्रभु है सुअवसर सुखद दिन एकदंत आप पधारो घर ।

 कर जोड़ कर यही विनती सुन टेर अब कष्टों को हर ।।

                                  --::--

                                        © गोपाल पाठक 

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