कविता संग्रह

Tuesday, October 20, 2020

जनता जनार्दन !

 जनता जनार्दन! 

समझे...? 

नहीं.... ?

ईश्वर ! भगवान ! ...

यानि ; 

हम जनता महान !

हाँ! 

शब्द सुनो कान 

और मने में रहो खुश ;

कहना हम जनता महान !

भले रहना अंजान 

मूंछ पर हाथ, कहीं भटके न ध्यान !

खोना न पहचान 

गरीब ,धुखी ,बेरोजगार , शोषित होकर सुशोभित अलंकृत नाम

भगत के बस में हैं भगवान !

" भगत ! "

हाँ !

भगत, भक्त  .....

कौन ...? 

नेता ....!

नेता भक्त नहीं ; 

वो हैं भगवान 

करते हैं कल्याण



चुनाव पर्व में

आते द्वार नर्म में

आम जनता को कहते हैं ;

तू मेरी जान !

तुम्हारे लिए हर पल कुर्बान 

चाहे देना पड़े प्राण

सबसे पहले तोहर काम 

भैया ! ऐसी बोली कौन बोले ?

जो हो सामर्थ्यवान

धन के खजान 

जिनका न हो लगाम 

बाहुबली में नाम

जो जिये शान

गाड़ी बंगला आलीशान

और कितना बतायें 

नेता ही हमरे महान! 

हे भगवान......! 

भगत के बस में हैं भगवान!

जनता पक्का शंकर भगवान 

एक लोटा पानी पर ही 

दे देते वरदान !

जनता मंदिर के मूर्ति 

दर पर सर झुकाओ ;

मनोकामना पूर्ति !

जनता देवी माँ

भोली-भाली 

वो कहता ; बस एक बार मईया !

आड़े हाथ मिला ;

फिर काहे आबे भइया 

जनता ब्रह्मा भगवान

हाथ जोड़ दो चार

कर देते बेड़ा पार

जनता बल बुध्दि हनुमान 

सवा किलो लड्डू ;

पूर्ण कर देते मनोकाम !

जनता जनार्दन ईश्वर भगवान ।

                    © गोपाल पाठक 




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