धाम धन्य वेदी जहाँ आहुति दे प्राण को
कोटी नमन कोटी नमन वीर जय जवान को
सूर्य भी सकुचाय वायुदेव रोके वेग को
वीर सीना तान दिया दान निज देह को
काल के कला सब भूल देख बलवान को
कोटी नमन कोटी नमन वीर जय जवान को
बौना बन जाय हिमगिरी जिसके सामने
विटप विकराल मौन रहे सदा सामने
जल थल नभ पुण्य पांव पड़े मानता
शौर्य की कहानी कथा धर्म सदा जानता
अग्नि की ज्वाल न जला महाप्राण को
कोटी नमन कोटी नमन वीर जय जवान को
स्वाभिमान अरमान बल भीम काय रहे
आन वान शान तीन तीर कमान है
जय हिंद जय हिंद मुख महामंत्र रहे
भारती की रक्षा खड़ा अड़ा हनुमान है
लाल रक्त धार गंगा धार के समान को
कोटी नमन कोटी नमन वीर जय जवान को
आंच नहीं आंचल में आये कभी दाग नहीं
जब आये काम पूर्ण आहुति वह प्राण है
बाल बाँका करे नहीं भारत में ताके नहीं
समिधा पंचतत्व हवन देह का न भान है
कर्ज निज माटी के चुकाये वह महान को
कोटी नमन कोटी नमन वीर जय जवान को
( जहानाबाद अईरा के लवकुश शर्मा जिन्होंने बारममुला में आतंकवादियों के मुठभेड़ में अपनी जान की पूर्णाहुति देकर वीर गति को प्राप्त हो गये, मैं अपनी कविता से कवितांजली अर्पित करता हूँ । )
© गोपाल पाठक
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