भगता काहे न आवत द्वार गौरा जरा बताई द हमका !
काहे मचल रहे हाहाकार गौरा जरा बताई द हमका !!
सावन चढ़गईल बीत रहल हे मिलत नहीं जलधार
बोल बम नहीं हर हर महादेव शांत पड़ा दरवार
गौरा जरा बताई द हमका
भगता काहे न आवत द्वार गौरा जरा बताई द हमका !
काहे मचल रहे हाहाकार गौरा जरा बताई द हमका !!
चार छे आठ दस घंटा जो करे रहे इंतजार
सुनसान काहे हो जाला का भगता नाराज
गौरा जरा बताई द हमका
भगता काहे न आवत द्वार गौरा जरा बताई द हमका !
काहे मचल रहे हाहाकार गौरा जरा बताई द हमका !!
भांग रमाये धुनी रमाये होता था जयकार
बोल काँवरिया शिव के धाम सुने नहीं इसबार
गौरा जरा बताई द हमका
भगता काहे न आवत द्वार गौरा जरा बताई द हमका !
काहे मचल रहे हाहाकार गौरा जरा बताई द हमका !!
का गंगा के पानी सुख गइल का पथ रोके पहाड़
का भगता पर कष्ट आ गइल आवत न दरवार
गौरा जरा बताई द हमका
भगता काहे न आवत द्वार गौरा जरा बताई द हमका !
काहे मचल रहे हाहाकार गौरा जरा बताई द हमका !!
का भीर पड़ल हे भारी लगे नहीं मन ध्यान
कउन समस्या आ गेल जाहिल कर रहे व्यवधान
गौरा जरा बताई द हमका
भगता काहे न आवत द्वार गौरा जरा बताई द हमका !
काहे मचल रहे हाहाकार गौरा जरा बताई द हमका !!
।। समाप्त ।।
© गोपाल पाठक
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