सईंयाँ ; आते रहल सावन सुहान,
कि लाद तू सामान मोरा के ।
मंगिया के सिनुर लाली अँखियाँ के काजर
गोरे रे वदन लेपन चंदन केशर महावर
औरे लगायब मेंहन्दी लाल
कि लाद तू सामान मोरा के ।।१॥
सईंयाँ ; आते रहल सावन सुहान,
कि लाद तू सामान मोरा के ।
हरी हरी चूड़ी हरा साड़ी परिधान
चमक दमक बिंदी सोने कुण्डल कान
करब हम सोलहो सिंगार
कि लाद तू सामान मोरा के ।।२।।
सईंयाँ ; आते रहल सावन सुहान,
कि लाद तू सामान मोरा के ।
कमर कमरधनी पांव पायल बिछिया
नकवा के नाशामणि गला रे हंसुलिया
अउरे दो चार मोती माल
कि लाद तू सामान मोरा के ।।३।।
सईंयाँ ; आते रहल सावन सुहान,
कि लाद तू सामान मोरा के ।
कारी कारी बदरा से गिरे झीमिर पनिया
सारी देह भींग बून्दी लागे जैसे मणिया
झूलवा झूलव दोनों साथ
कि लाद तू सामान मोरा के ।।४।।
सईंयाँ ; आते रहल सावन सुहान,
कि लाद तू सामान मोरा के ।
- गोपाल पाठक
[ सामान = शृंगार संबंधित ]
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