गूंज उठा धरा आसमां ,
सागर लहरें थम गया ।
करतल घंटा ढोल मृदंग ,
शंख घोर शोर किया ।।
पर एक दिन दिन नहीं काफी,
और आगे करना होगा ।
शिवलोक ब्रह्मलोक इन्द्राशन ,
जबतक नहीं डगमग होगा ।
ॠषि मुनि गंधर्व सभी का ,
ध्यान इधर करना होगा ।
दैत्य कोरोना से बचना तो ,
कठिन साधना करना होगा ।

निज समाज निज पंथ जगत को,
महामारी से बचना होगा ।
जो जैसे हो वैसे ही ,
हरिनाम सदा रटना होगा ।
जप तप होम पूजा कीर्तन का ,
ध्यान अहर्निश करना होगा ।
नारायण सर्वेश्वर हरि का ,
नव अवतार तभी होगा ।
तो हे देश के प्यारे वासी ,
सहज सजग रहना होगा ।
घर में व्यर्थ समय व्यतित क्यों,
प्रभु नाम जपना होगा ।
© गोपाल पाठक
सागर लहरें थम गया ।
करतल घंटा ढोल मृदंग ,
शंख घोर शोर किया ।।
पर एक दिन दिन नहीं काफी,
और आगे करना होगा ।
शिवलोक ब्रह्मलोक इन्द्राशन ,
जबतक नहीं डगमग होगा ।
ॠषि मुनि गंधर्व सभी का ,
ध्यान इधर करना होगा ।
दैत्य कोरोना से बचना तो ,
कठिन साधना करना होगा ।

निज समाज निज पंथ जगत को,
महामारी से बचना होगा ।
जो जैसे हो वैसे ही ,
हरिनाम सदा रटना होगा ।
जप तप होम पूजा कीर्तन का ,
ध्यान अहर्निश करना होगा ।
नारायण सर्वेश्वर हरि का ,
नव अवतार तभी होगा ।
तो हे देश के प्यारे वासी ,
सहज सजग रहना होगा ।
घर में व्यर्थ समय व्यतित क्यों,
प्रभु नाम जपना होगा ।
© गोपाल पाठक
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