वेलेंटाईन मेरे वीर मनाते ,
सोंचो कैसा दिवाना ?
अहर्निश नहीं नयन हटाते,
बड़ा दिल का मर्दाना ।
शीश कटे नहीं शीश झुकाते,
प्रेम भरा है खजाना ।
प्यार सदा बस भारत माँ से ,
दिलबर जैसा मस्ताना ।

वंदे मातरम् वंदे मातरम् ,
आई लव यू के समाना ।
डेट रेस्तरां भेंट पार्क वो ,
सब बौर्डर पर कर आना ।
दुश्मन सर कलम कर धर ,
लाल गुलाब सा सुहाना ।
प्रोमिस ध्येयवाक्य बन रहता ,
शपथ एक बस खा जाना ।
चुंबन मौत सदा ही करते ,
गले कफन पल्लू माना ।
नहीं डर किसी यम समाज से ,
दिल जो माने कर जाना ।
चुपका चुपकी प्रेम न जाने ,
खड़े खड़े सीना ताना ।
साँसो के अंतिम छण तक कर ,
बनते नहीं प्रेमी अंजाना ।
© गोपाल पाठक
भदसेरी
सोंचो कैसा दिवाना ?
अहर्निश नहीं नयन हटाते,
बड़ा दिल का मर्दाना ।
शीश कटे नहीं शीश झुकाते,
प्रेम भरा है खजाना ।
प्यार सदा बस भारत माँ से ,
दिलबर जैसा मस्ताना ।

वंदे मातरम् वंदे मातरम् ,
आई लव यू के समाना ।
डेट रेस्तरां भेंट पार्क वो ,
सब बौर्डर पर कर आना ।
दुश्मन सर कलम कर धर ,
लाल गुलाब सा सुहाना ।
प्रोमिस ध्येयवाक्य बन रहता ,
शपथ एक बस खा जाना ।
चुंबन मौत सदा ही करते ,
गले कफन पल्लू माना ।
नहीं डर किसी यम समाज से ,
दिल जो माने कर जाना ।
चुपका चुपकी प्रेम न जाने ,
खड़े खड़े सीना ताना ।
साँसो के अंतिम छण तक कर ,
बनते नहीं प्रेमी अंजाना ।
© गोपाल पाठक
भदसेरी
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