कविता संग्रह

Tuesday, December 31, 2019

नव वर्ष और न्यू इयर संग जंग....

छीड़ा जंग जब नव वर्ष का न्यु इयर के संग |
गोली नहीं बंदूक तोप थी बातों से ही व्यंग ||१।।

न्यु इयर नव वर्ष से बोला क्या तेरे में खुबी |
हम आते तो धूम मचाते तू आते तो सुनी ||२।।

ये बात सुनकर नव वर्ष दे ठहाका बोला |
क्या कहते हो मेरे भाई तुम मुझको तौला ?३

क्या तौलूँगा ? तुमको मैं जो खाली खाली आता |
खुशी  नहीं कोई हर्ष मनाता सादे आता जाता ||४।।

रे न्यु इयर ! जरा सोंच समझ रख डींग नहीं मत भर |
सुनकर तेरा होश उड़ेगा जा अपने पथ धर ||५।।

सच कहने से क्यों तू चिड़ते ? होश उड़ेगा मेरा क्या ?
आने के पहले ही मेरे हर घर खुशियाँ तुम में क्या ?६।।

बम पटाखे फुटे खूब लरियाँ जगमग करते |
गगन गूँज हैपी न्यु इयर से फर्स्ट जनवरी कहते ||७।।

और  कुछ बोलना है तो बोलो नहीं तो मेरी सुनो ||
मुँह नहीं अब तेरा खुलेगा थोड़ा पानी पीलो ||८।।

ठंडी  नहीं गर्मी अधिक
 प्रकृति रहे अनुकुल |
सुन्दर छटा मनोहर दृश्यम
बाग खिले खूब फूल ||

सूर्य ग्रह नक्षत्र राशियाँ 
शुभ दिन शुभ मुहूर्त |
इसके बीना न कल्पना
कैलेण्डर नहीं कर  पूर्त ||

तू आते हो  कड़क ठंड में
फसलों को पाला मार |
कृषक बेचारा मायुष रहता
देख खेती की हाल ||

मेरे आने के पहले ही बसंत वयारें बहता |
आ जाता हूँ तब तू देखना फसलें खूब कटता ||9।।

इतना सुनकर न्यु इयर अब डगमग डगमग करता |
भैया मुझे माफ करो अब यहाँ न बस कुछ चलता ||१०।।

हैं श्रेष्ठ आप मुझ से उपर अब लाज बचाओ मेरा |
लोगों को तू मत भड़काओ लग जाएगा  फेरा ||११।।

आज  कल त्योहार है मेरा चला जाऊँगा डेरा |
हार गया हूँ नहीं रहूँगा देश बड़ा है तेरा ||१२।।

                       © गोपाल पाठक
                              भदसेरी

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