छीड़ा जंग जब नव वर्ष का न्यु इयर के संग |
गोली नहीं बंदूक तोप थी बातों से ही व्यंग ||१।।
न्यु इयर नव वर्ष से बोला क्या तेरे में खुबी |
हम आते तो धूम मचाते तू आते तो सुनी ||२।।
ये बात सुनकर नव वर्ष दे ठहाका बोला |
क्या कहते हो मेरे भाई तुम मुझको तौला ?३
क्या तौलूँगा ? तुमको मैं जो खाली खाली आता |
खुशी नहीं कोई हर्ष मनाता सादे आता जाता ||४।।
रे न्यु इयर ! जरा सोंच समझ रख डींग नहीं मत भर |
सुनकर तेरा होश उड़ेगा जा अपने पथ धर ||५।।
सच कहने से क्यों तू चिड़ते ? होश उड़ेगा मेरा क्या ?
आने के पहले ही मेरे हर घर खुशियाँ तुम में क्या ?६।।
बम पटाखे फुटे खूब लरियाँ जगमग करते |
गगन गूँज हैपी न्यु इयर से फर्स्ट जनवरी कहते ||७।।
और कुछ बोलना है तो बोलो नहीं तो मेरी सुनो ||
मुँह नहीं अब तेरा खुलेगा थोड़ा पानी पीलो ||८।।
ठंडी नहीं गर्मी अधिक
प्रकृति रहे अनुकुल |
सुन्दर छटा मनोहर दृश्यम
बाग खिले खूब फूल ||
सूर्य ग्रह नक्षत्र राशियाँ
शुभ दिन शुभ मुहूर्त |
इसके बीना न कल्पना
कैलेण्डर नहीं कर पूर्त ||
तू आते हो कड़क ठंड में
फसलों को पाला मार |
कृषक बेचारा मायुष रहता
देख खेती की हाल ||
मेरे आने के पहले ही बसंत वयारें बहता |
आ जाता हूँ तब तू देखना फसलें खूब कटता ||9।।
इतना सुनकर न्यु इयर अब डगमग डगमग करता |
भैया मुझे माफ करो अब यहाँ न बस कुछ चलता ||१०।।
हैं श्रेष्ठ आप मुझ से उपर अब लाज बचाओ मेरा |
लोगों को तू मत भड़काओ लग जाएगा फेरा ||११।।
आज कल त्योहार है मेरा चला जाऊँगा डेरा |
हार गया हूँ नहीं रहूँगा देश बड़ा है तेरा ||१२।।
© गोपाल पाठक
भदसेरी
गोली नहीं बंदूक तोप थी बातों से ही व्यंग ||१।।
न्यु इयर नव वर्ष से बोला क्या तेरे में खुबी |
हम आते तो धूम मचाते तू आते तो सुनी ||२।।
ये बात सुनकर नव वर्ष दे ठहाका बोला |
क्या कहते हो मेरे भाई तुम मुझको तौला ?३
क्या तौलूँगा ? तुमको मैं जो खाली खाली आता |
खुशी नहीं कोई हर्ष मनाता सादे आता जाता ||४।।
रे न्यु इयर ! जरा सोंच समझ रख डींग नहीं मत भर |
सुनकर तेरा होश उड़ेगा जा अपने पथ धर ||५।।
सच कहने से क्यों तू चिड़ते ? होश उड़ेगा मेरा क्या ?
आने के पहले ही मेरे हर घर खुशियाँ तुम में क्या ?६।।
बम पटाखे फुटे खूब लरियाँ जगमग करते |
गगन गूँज हैपी न्यु इयर से फर्स्ट जनवरी कहते ||७।।
और कुछ बोलना है तो बोलो नहीं तो मेरी सुनो ||
मुँह नहीं अब तेरा खुलेगा थोड़ा पानी पीलो ||८।।
ठंडी नहीं गर्मी अधिक
प्रकृति रहे अनुकुल |
सुन्दर छटा मनोहर दृश्यम
बाग खिले खूब फूल ||
सूर्य ग्रह नक्षत्र राशियाँ
शुभ दिन शुभ मुहूर्त |
इसके बीना न कल्पना
कैलेण्डर नहीं कर पूर्त ||
तू आते हो कड़क ठंड में
फसलों को पाला मार |
कृषक बेचारा मायुष रहता
देख खेती की हाल ||
मेरे आने के पहले ही बसंत वयारें बहता |
आ जाता हूँ तब तू देखना फसलें खूब कटता ||9।।
इतना सुनकर न्यु इयर अब डगमग डगमग करता |
भैया मुझे माफ करो अब यहाँ न बस कुछ चलता ||१०।।
हैं श्रेष्ठ आप मुझ से उपर अब लाज बचाओ मेरा |
लोगों को तू मत भड़काओ लग जाएगा फेरा ||११।।
आज कल त्योहार है मेरा चला जाऊँगा डेरा |
हार गया हूँ नहीं रहूँगा देश बड़ा है तेरा ||१२।।
© गोपाल पाठक
भदसेरी
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