प्राचीन काल में गुरू कहलाये ,
अब कहलाये टीचर |
अब देखिए नये रूप में ,
सुट - बुट में टीचर |
प्रणाम नहीं नतमस्तक करते ,
कहते गुड मॉर्निंग टीचर |
आशीष नहीं आशीर्वाद देते ,
कहते गुड मॉर्निंग टीचर |
कुटिया आश्रम भूल गये ,
अब बिल्डिंग देखे टीचर |
वल्कल वस्त्र में गुरू जी दिखते ,
अब कोट पैंट में टीचर |
चलता गुरू आश्रम विच्छाटन में
अब पेमेंट में टीचर |
तरू छाया में गुरू पढ़ाते
अब क्लास में टीचर |
हे शिष्य कह गुरू बुलाते ,
अब ओ बॉय कहते टीचर |
होता संस्कृत में अध्यापन ,
अब अंग्रेजी में टीचर |
रहते महारथ अपने विषयों में ,
अब गुगल में टीचर |
गुरू कराते स्वाध्याय शिष्यों को ,
अब ट्यूशन में टीचर |
हँसी हँसी में रच मैं डाला ,
क्षमा करेंगे टीचर |
गलत नहीं आप इसे समझना ,
तथ्य बताया मैं टीचर |
© गोपाल पाठक
भदसेरी
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