भाषाओं की जननी संस्कृत की ,
बिटिया प्यारी है हिन्दी ।
भारत माता के मस्तक पर
शोभित श्रृंगार है बिन्दी ।
मेरे कुल की मर्यादा
और समृद्ध भाषा हिन्दी ।
सरस सुलभ मन भावन रसना
पावन गंगा हिन्दी ।
मेरे अराध्य गुरू के प्रसाद
मधुर सुधा रस हिन्दी ।
माता की ममता जनक प्यार
हर व्याप्त चहुँ दिश हिन्दी ।
साथी संगत संत की वाणी,
प्रेम धारा अविरल है हिन्दी ।
हिन्दुस्तान की जन मानस पर
वन आच्छादीत हिन्दी ।
जय हिन्द !
जय हिन्दी!!
बिटिया प्यारी है हिन्दी ।
भारत माता के मस्तक पर
शोभित श्रृंगार है बिन्दी ।
मेरे कुल की मर्यादा
और समृद्ध भाषा हिन्दी ।
सरस सुलभ मन भावन रसना
पावन गंगा हिन्दी ।
मेरे अराध्य गुरू के प्रसाद
मधुर सुधा रस हिन्दी ।
माता की ममता जनक प्यार
हर व्याप्त चहुँ दिश हिन्दी ।
साथी संगत संत की वाणी,
प्रेम धारा अविरल है हिन्दी ।
हिन्दुस्तान की जन मानस पर
वन आच्छादीत हिन्दी ।
जय हिन्द !
जय हिन्दी!!
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