कविता संग्रह

Friday, September 13, 2019

भाग -1 जब से कट गईल चलान

भाग -1
जब से कट गईल चलान...

सईंयाँ मोरा सुतेला दलान ।
जब से कट गईल चलान ।।

हँसी मुख चेहरा दिखे अब उदास
पूछी कोई बात तब चिड़ केवल जात
कर नहीं रहे कोई काम।
जब से कट गईल चलान
सईंयाँ मोरा सुतेला दलान.....

कुछ नहीं सुने सईंयाँ खेत पर न जाए ,
घर लूरू गाय भैंस सानी न खिलाए ,
दूधवा न धूभे सुबह शाम ।
जब से कट गईल चलान
सईंयाँ मोरा सुतेला दलान.......

खाई के बेरिया पूछे जब जाई
चादर तान सईंयाँ सुतल चारपाई
मचल रहिले घर कोहराम ।
जब से कट गईल चलान
सईंयाँ मोरा सुतेला दलान.....

फीश रहे बाकि लईकन के स्कूल में
आँटा नहीं पीसल हम रही व्याकुल में
सईंयाँ नहीं सुने कोई कान ।
जब से कट गईल चलान
सईंयाँ मोरा सुतेला दलान.....

मोर सास ससुर पूछी का होईल बेटा
रात दिन तू काहे चादर तान लेटा
मान ल तू कर दीहले दान ।
जब से कट गईल चलान
सईंयाँ मोरा सुतेला दलान.....

अब तू उठ जाके लाईशेन्स बनाब
छोड़ चिंता तनि बउआ पेशेन्स दिखाब
बन एक नागरिक महान ।
जब से कट गईल चलान
सईंयाँ मोरा सुतेला दलान......

                                © गोपाल पाठक
                                        भदसेरी

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