कविता संग्रह

Wednesday, August 28, 2019

जागा अब वनराज......


माँद पड़ा जब शेर दहाड़ा,
गीदड़ का अब मन घबराया ,
भेड़िया अपने घर समाया,
भाग भाग सब भाग साथियों
जागा अब वनराज !

छोड़ चलो अब राज यहाँ से,
छोड़ चलो अब राज ।

जब चला गीदड़ का शासन,
लिया भेड़िया मंत्री आसन,
बकरी को मिला उच्चासन,
हाथी कर यहाँ शिर्शासन,
भेंड़ बना युवराज , जंगल में 
जागा अब वनराज !

छोड़ चलो अब राज यहाँ से,
छोड़ चलो अब राज ।

चूहों को सेना में लाया ,
खरहा को कप्तानी दिलाया,
बन्दर कर्नल बनकर आया,
तब शेर को गुस्सा आया,
मारा एक दहाड़, जंगल में
जागा अब वनराज !

छोड़ चलो अब राज यहाँ से,
छोड़ चलो अब राज ।

वायु सेना में चिड़ियाँ भर्ती,
जल सुरक्षा मछली करती,
राज्य पुलिस में बिल्ली रहती,
निगरानी में लोमड़ी चलती,
कुक्कुर होम गार्ड, जंगल में
तब जागा वनराज !

छोड़ चलो अब राज यहाँ से,
छोड़ चलो अब राज ।

भालू वन पंचायत चलाता,
गैंडा मुखिया बनकर आता,
गदहा यहाँ पाठ पढ़ाता,
मगरों से पानी भरवाता,
घोड़ा लेता टैक्स, जंगल में
तब जागा वनराज !

छोड़ चलो अब राज यहाँ से,
छोड़ चलो अब राज ।

मधुर तान देता था मच्छर,
काला कौआ गायक बनकर,
तितली करती नाच यहाँ पर,
मेढ़क तबला वादक बनकर,
सजा गीदड़ दरबार, जंगल में
तब जागा वनराज !

छोड़ चलो अब राज यहाँ से,
छोड़ चलो अब राज ।

देख दृश्य अब रहा न पाया,
माँद निकल शेर बाहर आया,
पूँछ पकड़ गीदड़ को भगाया,
भेड़िया को शेर गला दबाया,
बकरी जोड़े हाथ शेर को
क्षमा करो वनराज !

भाग भाग सब भाग साथियों
जागा अब वनराज !

अब वनराज सेना पास आया,
बंदर को दो चाट लगाया,
कान पकड़ खरहा को भगाया,
चूहा को चुटकी में दबाया,
सेना में हाहाकार मचा
जब आया वनराज!

भाग भाग सब भाग साथियों
जागा अब वनराज !

सुना कान भालू अब जागा,
पिछुआ खोल पंचायत से भागा,
सोया गैंडा खाट से जागा,
गदहा भी छोड़ पोथी भागा,
हाथी रोय माथ पकड़ कर
हाल बड़ा बेहाल !

भाग भाग सब भाग साथियों
जागा अब वनराज !

आया जहाँ रंग-मंच बना था,
सुन्दर भवन दरबार सजा था,
गायन वादन मधुर लगा था,
छमा छमा यहाँ नृत्य देखा था,
तबला के दे ताल मेंढक तब
खुशी हुआ सरदार !

भाग नहीं सब भाग साथियों ,
रहो यहीं दरबार !

मैं हूँ वनराज साथियों
मैं हूँ वनराज!

                          © गोपाल पाठक
                                   भदसेरी

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