सावन मास है सुहाना
मन गावे खूबे गाना
रिमझिम वर्षा को आना
माना दिल हो दिवाना ।।१।।
टर टर मेंढक के वाणी
झन झन झींगुर के तानी
झर झर वर्षा के पानी
रानी दिल हो दिवाना ।।२।।
चारो दिशी हरियाली
सादों का बिछा जाली
झूमें पेड़ की डाली
माली दिल हो दिवाना ।।३।।
परे कीचड़ में पैर
जब करे जाऊँ सैर
भले कपड़ा हो मैल
खैर दिल हो दिवाना ।।४।।
लागो बगिया में झूला
जाओ दिन दुनिया भूला
प्रिया प्रियतम ढूला
खुला दिल हो दिवाना ।।५।।
लाली मेंहदी के रंग
दे हिय में तरंग
नव युवती उमंग
संग दिल हो दिवाना ।।६।।
हरा हरा परिधान
गेरूआ भी प्रधान
सजा चूड़ी से दुकान
पान दिल हो दिवाना ।।७।।
काली बदरा के शोर
नाच मन मयूर घोर
देखी शाम चाहे भोर
मोर दिल हो दिवाना ।।८।।
© गोपाल पाठक
भदसेरी
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