कविता संग्रह

Monday, August 12, 2019

उठो आज दिन तुम्हारा है


उठो आज दिन तुम्हारा है ,
जीवन से क्यूँ तू हरा है ?
अभी नहीं किनारा है ,
उठ लाडले माँ के प्यारे
ये देश बहुत ही प्यारा  है |

युवा तुम्हारे ज्वाला अंदर ,
दे चिनगारी जला समंदर ,
शांत नहीं रह गूँजो अंबर ,
शत्रु तेरे वार करे तो ,
दे सीने में उसको खंजर |

रग रक्त रख तू सो नहीं ,
बन शेर तू गिदड़ नहीं ,
हो वीर तू निर्बल नहीं ,
कुछ काम कर ऐसा दिखा
दुनिया में तेरे जोड़ नहीं |

भुज दंड बाहु बल तेरे ,
दहाड़ कर दुश्मन डरे ,
भयभीत होकर खुद मरे ,
बैठो नहीं अब वीर तू
इस देश में जब तू रहे |

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                       - गोपाल पाठक
                              भदसेरी

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