नमन चरणों में माँ जगदन्बा तेरी देदो ज्ञान ,
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
वाणी करदे विमल
शब्द होय सरल
काव्य सुन्दर !
यही चाह करूँ माँ हरदम ।
हम अबोध हैं माँ
दे दो बुद्धि हमें
सर्व ज्ञान !
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...

अभयदायनी तू
वरदायनी तू
महामाया !
स्वर अमृत भर जग जाया ।
कर वेद लिए
सुर अमृत दिये
गीता ज्ञान !
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
सिंहवाहिनी तू
दुष्ट दामिनी तू
महारानी !
एक कृपा की चाह भवानी
माता यही विनती
ना करूँ गलती
जब तक प्राण !
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
- गोपाल पाठक
भदसेरी
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
वाणी करदे विमल
शब्द होय सरल
काव्य सुन्दर !
यही चाह करूँ माँ हरदम ।
हम अबोध हैं माँ
दे दो बुद्धि हमें
सर्व ज्ञान !
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...

अभयदायनी तू
वरदायनी तू
महामाया !
स्वर अमृत भर जग जाया ।
कर वेद लिए
सुर अमृत दिये
गीता ज्ञान !
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
सिंहवाहिनी तू
दुष्ट दामिनी तू
महारानी !
एक कृपा की चाह भवानी
माता यही विनती
ना करूँ गलती
जब तक प्राण !
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
- गोपाल पाठक
भदसेरी
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