कविता संग्रह

Sunday, April 7, 2019

भगवती स्तुति


      ।।  भगवती स्तुति  ।।
            
माँ तेरी चरणों में मेरी विनती 
दे दो बुद्धि हमें ना करूँ गलती ।
मन मान नहीं भटकाव रहे
तन शुद्धि नहीं कोई जुड़ाव रहे ।
बस कृपा की दृष्टि को वृष्टि कर दो
माँ शरण में आया हूँ बहु वर दो ।

मैं पूजा न अर्चन न अर्पण जानूँ
नहीं तर्पण समर्पण विसर्जन जानूँ ।
माँ मुझे नहीं कर्म न धर्म मालूम
नहीं शुद्धियता का न मर्म मालूम ।
कलि काल है जाल विकराल बना
मन मोह माया का जंजाल बना ।
अधर पर न धर कभी नाम तेरा 
रसना झूठ खान से भरा मेरा । 
अब तू ही माता उबार करो 
सदबुद्धि  सदा सुविचार ही दो ।
सुनो मेरी मातु करूणा की वचन 
दे दो शरण मुझे माँ अपनी चरण ।
हो जायेंगे धन्य हम धन्य धनी
निच अधमी बनेगा अमूल्य मणी ।

     - गोपाल पाठक 
           भदसेरी 

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