*जय श्री राम ! जय श्री राम !*
राम नाम से चारों दिशायें ,
गूँजे चारों ओर |
राम राम सियाराम राम हो
हर घर में हो शोर
जब तक गंगा पावन धरती ,
सूर्य गगन में चमके |
तब तक राम नाम की वर्षा ,
पुरे विश्व में वरसे |

नहीं रहे कोई कोना खाली
राम नाम को जापे |
चाईना हो या अरब देश
पाक राम अपनाबे |
फिर बना रहेगा अमन शांति ,
द्वेष नहीं रह पाबे |
पुन: हमारा देश जगत में ,
विश्व गुरू कहलाबे |
तो
रहना नहीं अब शांत बैठकर ,
शेर बन दहाड़ें |
वन वनराज हो सारी जंता ,
ऐंठा गीदड़ लताड़ें |
जय श्री राम !
- गोपाल पाठक
भदसेरी
राम नाम से चारों दिशायें ,
गूँजे चारों ओर |
राम राम सियाराम राम हो
हर घर में हो शोर
जब तक गंगा पावन धरती ,
सूर्य गगन में चमके |
तब तक राम नाम की वर्षा ,
पुरे विश्व में वरसे |

नहीं रहे कोई कोना खाली
राम नाम को जापे |
चाईना हो या अरब देश
पाक राम अपनाबे |
फिर बना रहेगा अमन शांति ,
द्वेष नहीं रह पाबे |
पुन: हमारा देश जगत में ,
विश्व गुरू कहलाबे |
तो
रहना नहीं अब शांत बैठकर ,
शेर बन दहाड़ें |
वन वनराज हो सारी जंता ,
ऐंठा गीदड़ लताड़ें |
जय श्री राम !
- गोपाल पाठक
भदसेरी
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