छप्पन ईंची सीने था ,
अब ढाई किलो का हाथ ।
सही रहा था मेरा फैसला,
चला गया वायनाड ।

नहीं मेरी हाल क्या होती ,
सुनो मेरी जुबान ।
चोर चोर कह शोर मचाया,
वह लेता संज्ञान ।
यह बात भी सही है भैया,
चोरी जो न करे ।
उसे चोर बनाकर के तो
मन ही मन अब डरें ।
चलो खेल खेल में हुआ,
राजनीति की डफली ।
इतना मेरे पीछे मत पड़,
लाना है मुझे " बवली " ।
अब ढाई किलो का हाथ ।
सही रहा था मेरा फैसला,
चला गया वायनाड ।

नहीं मेरी हाल क्या होती ,
सुनो मेरी जुबान ।
चोर चोर कह शोर मचाया,
वह लेता संज्ञान ।
यह बात भी सही है भैया,
चोरी जो न करे ।
उसे चोर बनाकर के तो
मन ही मन अब डरें ।
चलो खेल खेल में हुआ,
राजनीति की डफली ।
इतना मेरे पीछे मत पड़,
लाना है मुझे " बवली " ।
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