सवा अरब की जनसंख्या में,
धरा व्याकुल कर रही पुकार ।
दम घूँट आँसू को पीती,
देख धरा माँ सुत व्यवहार ।

कूड़े कचड़े की गंदगी से ,
रोक लगाओ मेरे यार ।
हम हैं देश की इस मिट्टी से,
भूल न जाओ माँ की प्यार ।
हम कैसे निर्लज बन रहते,
देख दृष्य नहीं किया विचार ।
जागो माँ के भक्त लाडले,
करें नहीं हम दुर्व्यवहार ।
आएँ हम सब स्वच्छ बनाएँ ,
धरती माँ को करें श्रृंगार ।
निर्मल सुन्दर स्वस्थ स्वच्छ कर,
निज राष्ट्र को दें सम्मान ।
धरा व्याकुल कर रही पुकार ।
दम घूँट आँसू को पीती,
देख धरा माँ सुत व्यवहार ।

कूड़े कचड़े की गंदगी से ,
रोक लगाओ मेरे यार ।
हम हैं देश की इस मिट्टी से,
भूल न जाओ माँ की प्यार ।
हम कैसे निर्लज बन रहते,
देख दृष्य नहीं किया विचार ।
जागो माँ के भक्त लाडले,
करें नहीं हम दुर्व्यवहार ।
आएँ हम सब स्वच्छ बनाएँ ,
धरती माँ को करें श्रृंगार ।
निर्मल सुन्दर स्वस्थ स्वच्छ कर,
निज राष्ट्र को दें सम्मान ।
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