कविता संग्रह

Monday, April 22, 2019

निज राष्ट्र को दे सम्मान

सवा अरब की जनसंख्या में,
धरा व्याकुल कर रही पुकार ।
दम घूँट आँसू को पीती,
देख धरा माँ सुत व्यवहार ।


कूड़े कचड़े की गंदगी से ,
रोक लगाओ मेरे यार ।
हम हैं देश की इस मिट्टी से,
भूल न जाओ माँ की प्यार ।

हम कैसे निर्लज बन रहते,
देख दृष्य नहीं  किया विचार ।
जागो माँ के भक्त लाडले,
करें नहीं हम दुर्व्यवहार ।

आएँ हम सब स्वच्छ बनाएँ ,
धरती माँ को करें श्रृंगार ।
निर्मल सुन्दर स्वस्थ स्वच्छ कर,
निज राष्ट्र को दें सम्मान ।

        

No comments:

Post a Comment

अगलगी से बचाव

  आ रही है गर्मी  लू तपीस होत  बेजोड़ जी । आग के ये यार है बचाव से करो गठजोड़ जी ।। जब भी आग लग जाए तो करें नहीं हम भागम भाग। "रूको लेट...