कुछ हाल देख कर मैं अपने को ,
सहन नहीं कर पा रहा |
देख तिरस्कृत बलिदानों को ,
तब लेखनी मैं चला रहा ।
जिन्ना जिन्ना क्या रटते हो ?
जिन्ना क्या कर दिया ?
जरा इतिहास पलटकर देखो ,
देश विभाजन किया |
है इतिहास की नहीं जानकारी ,
फिर क्यों उस पर बोली ?
जो देश में आग लगाया ,
उसे मिले तो गोली |

हिन्दू मुस्लिम बोल बोल कर ,
आग उगलता रहता था |
नफरत की तलवारों से वह ,
अलग हमेशा करता था |
देश में रह कर जिन्ना जापे ,
सोंच बदल जरा अपने को ।
जो बलिदानी खुन बहाये ,
याद करो जरा उनको तो |
जालियाँ बाला बाग की होली ,
कुर्बानी को याद करो ।
भगत राज गुरू और शुभाष को ,
इतना मत अपमान करो ।
स्वर्ग में रहकर वे बेचारे ,
देख दृश्य यह रोयेंगे |
जिसका नाम नहीं रहना था ,
कैसे वे यह देखेंगे |
तो
हे देश के प्यारे बासी !
देशद्रोही मत बन जाओ |
जिसने देश को खंडित किया ,
उसे नहीं कभी अपनाओ |
- गोपाल पाठक
भदसेरी
सहन नहीं कर पा रहा |
देख तिरस्कृत बलिदानों को ,
तब लेखनी मैं चला रहा ।
जिन्ना जिन्ना क्या रटते हो ?
जिन्ना क्या कर दिया ?
जरा इतिहास पलटकर देखो ,
देश विभाजन किया |
है इतिहास की नहीं जानकारी ,
फिर क्यों उस पर बोली ?
जो देश में आग लगाया ,
उसे मिले तो गोली |

हिन्दू मुस्लिम बोल बोल कर ,
आग उगलता रहता था |
नफरत की तलवारों से वह ,
अलग हमेशा करता था |
देश में रह कर जिन्ना जापे ,
सोंच बदल जरा अपने को ।
जो बलिदानी खुन बहाये ,
याद करो जरा उनको तो |
जालियाँ बाला बाग की होली ,
कुर्बानी को याद करो ।
भगत राज गुरू और शुभाष को ,
इतना मत अपमान करो ।
स्वर्ग में रहकर वे बेचारे ,
देख दृश्य यह रोयेंगे |
जिसका नाम नहीं रहना था ,
कैसे वे यह देखेंगे |
तो
हे देश के प्यारे बासी !
देशद्रोही मत बन जाओ |
जिसने देश को खंडित किया ,
उसे नहीं कभी अपनाओ |
- गोपाल पाठक
भदसेरी
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