कविता संग्रह

Saturday, April 27, 2019

उसे नहीं कभी अपनाओ.....

कुछ हाल देख कर मैं अपने को ,
सहन नहीं कर पा रहा |
देख तिरस्कृत बलिदानों को ,
तब लेखनी मैं चला रहा ।

जिन्ना जिन्ना क्या रटते हो ?
जिन्ना क्या कर दिया ?
जरा इतिहास पलटकर देखो ,
देश विभाजन किया |

है इतिहास की नहीं जानकारी ,
फिर क्यों उस पर बोली ?
जो देश में आग लगाया ,
उसे मिले तो गोली |


हिन्दू मुस्लिम बोल बोल कर ,
आग उगलता रहता था |
नफरत की तलवारों से वह ,
अलग हमेशा करता था |

देश में रह कर जिन्ना जापे ,
सोंच बदल जरा अपने को ।
जो बलिदानी खुन बहाये ,
याद करो जरा उनको तो |

जालियाँ बाला बाग की होली ,
कुर्बानी को याद करो ।
भगत राज गुरू और शुभाष को ,
इतना मत अपमान करो ।

स्वर्ग में रहकर वे बेचारे ,
देख दृश्य यह रोयेंगे |
जिसका नाम नहीं रहना था ,
कैसे वे यह देखेंगे |
तो
हे देश के प्यारे बासी !
देशद्रोही मत बन जाओ |
जिसने देश को खंडित किया ,
उसे नहीं कभी अपनाओ |
             
              - गोपाल पाठक
                    भदसेरी

No comments:

Post a Comment

अगलगी से बचाव

  आ रही है गर्मी  लू तपीस होत  बेजोड़ जी । आग के ये यार है बचाव से करो गठजोड़ जी ।। जब भी आग लग जाए तो करें नहीं हम भागम भाग। "रूको लेट...