कविता संग्रह

Monday, February 11, 2019

नारी सशक्तिकरण

हे नारियाँ !इस जगत की ,
सभी हो  दुर्गा के अवतार  |
तू समाज में ऐसा कुछ कर
नहीं सहो तू अत्याचार |

         माँ दुर्गा नहीं पर्दा में थी,
         करती थी दुष्टों पर वार |
         चंड-मुंड या शुंभ-निशुंभ हो ,
         राह दिखायी यम के द्वार |

द्रौपदी की वह परम प्रतिज्ञा ,
सभी कौरव पांडव से हार  |
दी हिम्मत और सदा हौसला ,
नहीं कभी वह निज मन हार ||
            वह विरांगना लक्ष्मी बाई ,
            युद्ध लड़ी थी अश्व सवार |
            विधवा होकर घर नहीं बैठी ,
            जब खोई थी निज भर्तार  |

जब जब काम पड़े जब जैसा ,
सदा रहो तू नित तैयार ,
शौर्य पराक्रम दिखा शक्ति ,
जो जैसा जब करे व्यवहार |

शांत नहीं बैठ अब अबला तू मानकर ,
धर तू कृपाण जब कोई अपमान है |
मन में न सोंच कर तन में तू रूप धर ,
दुष्टों को दे दमन यही तेरी शान है |

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