नमन चरणों में माँ शारदा भारती देदो ज्ञान ,
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
वाणी करदे विमल
शब्द होय सरल
काव्य सुन्दर ।
यही चाह करूँ माँ हरदम ।
हम अबोध हैं माँ
देदो बुद्धि हमें
सर्व ज्ञान ।
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
विद्यादायनी तू
वरदायनी तू
महामाया ।
स्वर अमृत भर जग जाया ।
कर वेद लिए
सुर अमृत दिये
गीता ज्ञान ।
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
हंसवाहिनी तू
पुस्तक धारिणी तू
विणा पाणी ।
शुद्ध रचना तू कर अभयदानी
माता यही विनती
ना करूँ गलती
मिले मान
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
वाणी करदे विमल
शब्द होय सरल
काव्य सुन्दर ।
यही चाह करूँ माँ हरदम ।
हम अबोध हैं माँ
देदो बुद्धि हमें
सर्व ज्ञान ।
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
विद्यादायनी तू
वरदायनी तू
महामाया ।
स्वर अमृत भर जग जाया ।
कर वेद लिए
सुर अमृत दिये
गीता ज्ञान ।
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
हंसवाहिनी तू
पुस्तक धारिणी तू
विणा पाणी ।
शुद्ध रचना तू कर अभयदानी
माता यही विनती
ना करूँ गलती
मिले मान
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
स्वर कंठ में दे मीठी तान...
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