शेर बन कैसे सोये हो ?
मांद निकल तू बाहर आ ।
कुत्ते करता रोज गलतियाँ,
धड़ से सिर अलग कर आ ।
बहुत हो चुका नम्र दिखाना,
भारत माँ के वीर जवान ।
दे जबाब अब नहीं सहो तू ,
जब भी वार करे शैतान ।
फहरादो लाहौर तिरंगा ,
पेशावर नहीं रहे निशान ।
नाम मिटादो मान चित्र से ,
वीर सपुत हे अमर जवान !
जय हिन्द !
जय जवान !
- गोपाल पाठक
भदसेरी
मांद निकल तू बाहर आ ।
कुत्ते करता रोज गलतियाँ,
धड़ से सिर अलग कर आ ।
बहुत हो चुका नम्र दिखाना,
भारत माँ के वीर जवान ।
दे जबाब अब नहीं सहो तू ,
जब भी वार करे शैतान ।
फहरादो लाहौर तिरंगा ,
पेशावर नहीं रहे निशान ।
नाम मिटादो मान चित्र से ,
वीर सपुत हे अमर जवान !
जय हिन्द !
जय जवान !
- गोपाल पाठक
भदसेरी
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