कविता संग्रह

Friday, March 1, 2019

" बगिया पुकारता "

 🌤🌤🌤🌤🌤
       🦆🕊
उठ प्यारे बंधुओं ,
पूर्व हुआ लाल सी ।
खग वृंद गा रहे ,
मंगल की गान सी ।

             आ रहा वीर आज ,
             शेर सा दहाड़ता ।
             सो नहीं जाग अब ,
             बगिया पुकारता ।

चुन चुन कली कुसुम ,
पथ पर बिछाओ ।
भारती की लाल को ,
धूली पर न लाओ ।

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                छाल तल लहू बून्द ,
                लाल सुकुमार की ।
                पोछूँ चाटूँ पग तल ,
                मैं शेरशाह की ।
             
👏👏👏👏👏👏👏

धन्य बन जाऊँ आज ,
वीर विराट से ।
दुश्मन के धूल चटा ,
वह सम्राट से ।

             - गोपाल पाठक
                   भदसेरी 

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