🌤🌤🌤🌤🌤
🦆🕊
उठ प्यारे बंधुओं ,
पूर्व हुआ लाल सी ।
खग वृंद गा रहे ,
मंगल की गान सी ।
आ रहा वीर आज ,
शेर सा दहाड़ता ।
सो नहीं जाग अब ,
बगिया पुकारता ।
चुन चुन कली कुसुम ,
पथ पर बिछाओ ।
भारती की लाल को ,
धूली पर न लाओ ।
🌸🌼🌸🌼🌸🍁🍂🍃🌻
🌼🌸🌹🌷💐💐🌷🌹🥀
🌺🌸🌼🌻☘🌿🍁🍂🥀
🥀🌹🌷💐🌺🌸🌼🌺🌸
छाल तल लहू बून्द ,
लाल सुकुमार की ।
पोछूँ चाटूँ पग तल ,
मैं शेरशाह की ।
👏👏👏👏👏👏👏
धन्य बन जाऊँ आज ,
वीर विराट से ।
दुश्मन के धूल चटा ,
वह सम्राट से ।
- गोपाल पाठक
भदसेरी
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उठ प्यारे बंधुओं ,
पूर्व हुआ लाल सी ।
खग वृंद गा रहे ,
मंगल की गान सी ।
आ रहा वीर आज ,
शेर सा दहाड़ता ।
सो नहीं जाग अब ,
बगिया पुकारता ।
चुन चुन कली कुसुम ,
पथ पर बिछाओ ।
भारती की लाल को ,
धूली पर न लाओ ।
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छाल तल लहू बून्द ,
लाल सुकुमार की ।
पोछूँ चाटूँ पग तल ,
मैं शेरशाह की ।
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धन्य बन जाऊँ आज ,
वीर विराट से ।
दुश्मन के धूल चटा ,
वह सम्राट से ।
- गोपाल पाठक
भदसेरी
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