कविता संग्रह

Friday, March 29, 2019

युवा तुम हो किधर.....

युवा तुम हो किधर ?
कहाँ है शोर ?
रंग चड़ा है ;
चुनाव है ;
कहीं अपने कामों से तो नहीं भटकाव है ?
नहीं ! रैलियाँ है
जाना है
दम खम दिखाना है
और
नेता जी संग थोड़ी तस्वीर खिंचवाना है ।
अच्छा !
तब तो आप बहुत व्यस्त हो
हाँ ! नेता जी को जिताना है
क्या कुछ लूट खजाना है ?
क्या क्या ?
भाई इमानदार है समझदार हैं
हमें भी लगा कुछ मजेदार है ।
मतलब ?
मतलब नहीं मालूम
ठीक है चलता हूँ ?
गाड़ी आ रही है
खाश आप के लिए ?
हाँ हाँ......
तब तो आपकी बहुत पूछ है..
बड़े नेताओं तक पहुँच है...
जी !
आप जनता हैं या नेता हैं ?
मैं ! मैं जनता जनार्दन का नेता हूँ ।
पढ़ाई लिखाई काम धंधा खतम
हाँ हाँ ये सब में नहीं है दम
वाह भाई !
पहले करते थे वैकेन्सी की इंतजार
सरकारी रिज़ल्ट में देखते रहते मेरे यार
हुआ कैसे तुम्हें राजनीति से प्यार ?
ऊब गया था ..
परीक्षा देते देते थक गया था...
फिर मन में सोंच इसमें जोर जमाया
उसके बाद
उसके बाद क्या ?
देख रहे हो नेताओं से हुआ परिचय
शान शोहरत का हुआ संचय
फेसबुक में लाईक्स बड़ा
वाट्स अप के स्टेटस में व्यूज बड़ा
बस ! इतने के लिए तू हुआ फीदा
पड़ाई लिखाई से हुआ विदा ।
हाँ ! मजा है इसमें
सही कहा ;
गलत में न सजा है ।

           - गोपाल पाठक
                भदसेरी



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