कविता संग्रह

Sunday, February 24, 2019

हृदय आनंदित हर्ष हुआ है
नयनो का आनंद हुआ है
मोदी जी जो किया आपने
वैसा नहीं कोई कर्म किया है

स्वच्छ  सिपाही का मान बढ़ा
कर्मों का अरमान बढ़ा
जो देखा दृश्य मैं समाचार में
कहने को न शब्द गढ़ा ।
क्या कहूँ  क्या नया शब्द में
अभी नवोदित हूँ निशब्द में
जो दिखलाया आज आपने
कभी नहीं कोई करे लब्ध में ।

पर एक विनय तुमसे मेरी
अब बदला में न कर देरी
जो खून खेला है दुश्मन ने
तू बिगुल बजा दो रणभेरी ।

फिर देखो तांडव अपना
रणचंडी कर मूंडी चखना
अमर शौर्य की अमर वाणी
गूंजेगा बलिदानी अंगना ।

तब तृप्त रहेंगे अमर वीर
जो गये स्वर्ग मेघों के चीर
लहू लाल जब पाकिस्ता देख
उनकी आत्मा रहे न पीर ।

    - गोपाल पाठक
           भदसेरी

No comments:

Post a Comment

अगलगी से बचाव

  आ रही है गर्मी  लू तपीस होत  बेजोड़ जी । आग के ये यार है बचाव से करो गठजोड़ जी ।। जब भी आग लग जाए तो करें नहीं हम भागम भाग। "रूको लेट...