कविता संग्रह

Saturday, March 2, 2024

अगलगी से बचाव

 आ रही है गर्मी  लू तपीस होत  बेजोड़ जी ।

आग के ये यार है बचाव से करो गठजोड़ जी ।।


जब भी आग लग जाए तो करें नहीं हम भागम भाग।

"रूको लेटो लुढ़को" मूल मंत्र है उपचार जान ।।


पानी बालू भीगा कंबल और अग्निशमन यंत्र।

डायल एक सौ एक पर और सहयोगी सरकारी तंत्र।।


घर बनाएं ,बना हुआ है रखें हवादार जी ।

खिड़की चौड़ी दरवाजा सब रहे खुलादार जी ।।


बिजली रानी बड़ी भयानी यदि खुला तार है ।

सही तरह जो रखे सुरक्षित वही समझदार है ।।


जहां-तहां न माचिस तिल्ली आग जला कर फेंके ।

दीया चूल्हा गैस रसोई रात लाईट ऑन न छोड़ें ।।


जहां तक संभव हो गर्मी में सुबह नौ रसोई।

शाम भी छः बजे जरुरी अगलगी न होई ।।


हम सभी इन बातों को मानें रहेंगे सदा सुरक्षित ।

मिले पका भोजन अनुकूल आग करें सदा रक्षित ।।


- गोपाल पाठक 


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