कविता संग्रह

Tuesday, October 5, 2021

बेटा कैसी है तैयारी जरा बतला दो..

बेटा कैसी है तैयारी जरा बतला दो ।

मैं आ रहीं हूँ द्वारी तेरी दिखला दो ।।



मेरी सुनो कान अपील

काम करो सब मील 

सुरक्षा न हो  ढील 

रखना चहुँ दिश सलील

जरा बतला दो ।

मैं आ रहीं हूँ द्वारी तेरी दिखला दो ।


कोरोना है बड़ा शैतान,

पर रहना तू सावधान,

मुख मास्क रहे ध्यान,

होगा सदा कल्याण,

जरा बतला दो ।

मैं आ रहीं हूँ द्वारी तेरी दिखला दो ।।

प्लास्टिक का न प्रयोग, 

पानी का न दुरूपयोग, 

पैसा का सदुपयोग, 

गरीबों को मिले भोग, 

जरा बतला दो ।

मैं आ रहीं हूँ द्वारी तेरी दिखला दो ।।


ज्यादा शोर न शराब, 

असामाजिक न भड़काव,

इधर उधर न पेशाब,

कचड़ा का रख रखाब,

जरा बतला दो ।

मैं आ रहीं हूँ द्वारी तेरी दिखला दो ।।


जब मेला हो प्रारंभ, 

कोई करे न हूड़दंग, 

डाले रंग में न भंग, 

जब घूमें साथी संग, 

जरा बतला दो ।

मैं आ रहीं हूँ द्वारी तेरी दिखला दो ।।


                           - गोपाल पाठक 

                                 


                       


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