जय अम्बा जगदम्बा दुर्गा
जय जगजननी महारानी ।
थाल सजा कर आरती उतारूँ
जय माँ भगवती कमलारानी ।
नारायणी रमा उमा माया ,
अग्नि ज्वाला रुद्राणी ।
चिता अनंता भाविनी भव्या ,
तू जन पालक ब्रह्माणी ।
काली कराली खप्परवाली ,
अष्टभुजी माँ शेरावाली ।
जया त्रिनेत्रा गौरी विमला ,
तुम सेवक के रखवाली ।
शुम्भ - निशुम्भ विदारे माता ,
चण्ड - मुण्ड महिषा घाती ।
रक्तबीज को दमन करे माँ ,
भक्तन के सुख आनंददाती ।
हम कपूत अति कपटी तेरे ,
नहीं पूजन में अनुरागी ।
क्षमा करो अपराध भवानी
भव प्रिता शिव अर्धंगी ।
क्रोध हरो मन लोभ हरो ,
सब पाप हरो माँ कौमारी ।
सदा चरण नित दर्शन पाऊँ ,
जय माँ वर मुद्रा धारी ।
---::-
- गोपाल पाठक
भदसेरी
जय जगजननी महारानी ।
थाल सजा कर आरती उतारूँ
जय माँ भगवती कमलारानी ।
नारायणी रमा उमा माया ,
अग्नि ज्वाला रुद्राणी ।
चिता अनंता भाविनी भव्या ,
तू जन पालक ब्रह्माणी ।
काली कराली खप्परवाली ,
अष्टभुजी माँ शेरावाली ।
जया त्रिनेत्रा गौरी विमला ,
तुम सेवक के रखवाली ।
शुम्भ - निशुम्भ विदारे माता ,
चण्ड - मुण्ड महिषा घाती ।
रक्तबीज को दमन करे माँ ,
भक्तन के सुख आनंददाती ।
हम कपूत अति कपटी तेरे ,
नहीं पूजन में अनुरागी ।
क्षमा करो अपराध भवानी
भव प्रिता शिव अर्धंगी ।
क्रोध हरो मन लोभ हरो ,
सब पाप हरो माँ कौमारी ।
सदा चरण नित दर्शन पाऊँ ,
जय माँ वर मुद्रा धारी ।
---::-
- गोपाल पाठक
भदसेरी
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