
आरती लाल वदन हनुमान हो लाल,
लाल वदन लाल लाल।....
राम दुलारो सीता प्यारो ,
सिंधु लांघ तू लंका जारो,
कलियुग के हैं महाराजाधिराज।
लाल वदन लाल लाल।....
आरती लाल वदन...............
अतुलित बल सकल गुण निधान,
रूद्र अवतार हैं वीर बलवान,
हिय में बसाय सियाराम हनुमान !
लाल वदन लाल लाल।....
आरती लाल वदन...............
भक्तराज हैं संत शिरोमणि,
संकटमोचन को नहीं है जनी,
सिया सियावर के चरण निहार !
लाल वदन लाल लाल।....
आरती लाल वदन...............
पाठक अज्ञान मंद मोह से भरे,
राम भजन को मन न करे,
कर दो कृपा ओढरदानी हमार !
लाल वदन लाल लाल।....
आरती लाल वदन...............
-: समाप्त :-
-गोपाल पाठक
भदसेरी
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