कविता संग्रह

Saturday, October 26, 2019

लंका दहन


लंका में आयो महाबल विकट,
आज लंका में आयो है ।

बगिया अशोक में कियो उत्पात,
रक्षक देख सहल नहीं जात,
रावण को दे जानकारी बतायो बात सारी
महाबल के !
लंका में आयो महाबल विकट,
आज लंका में आयो है ।

अक्षय कुमार रथ चढ़ी आया,
वीर हनुमान जी को देख घबराया,
खेला दो चार साथ बाण गया सुरधाम
महाबल से !
लंका में आयो महाबल विकट,
आज लंका में आयो है ।

अब चला ईंद्रजीत बदला लेने,
यहाँ देख मरे सब सेने,
भिड़ें युगल रण योद्धा भरे तन क्रोद्धा
महाबल हे !
लंका में आयो महाबल विकट,
आज लंका में आयो है ।

ब्रह्म अस्त्र किया संधान,
नाग फाँस में फंसे बलवान,
ले कर चले मेघनाद करे हर्ष नाद
महाबल पे!
लंका में आयो महाबल विकट,
आज लंका में आयो है ।

ऊँचे सिंहासन विराजे दशानन,
ग्रह देव ॠषि मुनि करे शिरशासन,
रावण सोंचे कई बात करें कोई घात
महाबल में!
लंका में आयो महाबल विकट,
आज लंका में आयो है ।

सभा मध्य बैठे विभीषण जी अड़े,
ऐसे नहीं भ्राता कोई दूत को करें,
मंत्री कहे अंग भंग करे इनके संग
महाबल के!
लंका में आयो महाबल विकट,
आज लंका में आयो है ।

पूँछ लपेटे वसन तेल निशिचर,
खेल देख जुटे भवन पर चढ़कर,
ताहि में लगायो दिये आग बचायो केवल बाग
महाबल ने!
लंका में आयो महाबल विकट,
आज लंका में आयो है ।

अब महावीर जी चढ़ले अँटारी,
चूनी चूनी सारी लंका को जारी,
राक्षसी करे चित्कार सुनो कोई पुकार
महाबल हे!
लंका में आयो महाबल विकट,
आज लंका में आयो है ।

          -: समाप्त :-

                           - गोपाल पाठक
                                 भदसेरी

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